हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,सोमवार की शाम को हुई इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने बल दिया कि दोनों मुल्कों के बीच अनेक मैदानों में सहयोग बढ़ाने की गुंजाइश मौजूदा सतह से कहीं ज़्यादा है और ईरान की पड़ोसी मुल्कों के साथ संबंध मज़बूत करने की नीति के मद्देनज़र दोनों मुल्कों के संबंधों में बुनियादी बदलाव आना चाहिए।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ईरान-ताजेकिस्तान के बीच ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक व भाषाई स्तर पर गहरी समानताओं का ज़िक्र करते हुए दोनों मुल्कों को आपस में रिश्तेदार व भाई बताया।
उन्होंने ताजिक राष्ट्रपति के फ़ारसी ज़बान को फैलाने और ईरानी राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी के पहले विदेशी दौरे के तौर ताजिकिस्तान के दौरे का ज़िक्र करते हुए ताकीद की कि यह दौरा बताता है कि ईरान ताजिकिस्तान के साथ संबंधों को कितनी अहमियत देता है और पिछले एक साल के दौरान संबंधों का स्तर बढ़ा है लेकिन अभी उस हद से बहुत दूर है जिस हद तक पहुंचना चाहिए।
सुप्रीम लीडर ने ईरान की ताजिकिस्तान को तकनीक, इंजीनियरिंग, उद्योग और विज्ञान के क्षेत्र में मदद करने की क़ाबिलियत को अहम बताते हुए कहाः इस क़ाबिलियत से फ़ायदा उठाने और सहयोग बढ़ाने के लिए संयुक्त आयोग को चाहिए कि समझौतों को व्यवहारिक बनाने के लिए योजना और टाइम फ़्रेम तैयार करे।
उन्होंने ईरान में मौसम के लेहाज़ से विविधता, विशाल ज़मीन और मैदान, वैज्ञानिक, औद्योगिक व प्रौद्योगिक प्रगति और नॉलेज बेस्ड कंपनियों के वजूद और ताजिकिस्तान में पानी और खदान की बहुतायत को दोनों मुल्कों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार बैकग्राउंड बताया। उन्होंने कहा कि पाबंदियों के बावजूद इस्लामी गणराज्य ने अनेक मैदानों में अच्छी तरक़्क़ी की है और अगर पाबंदियां न होतीं तो ये कामयाबियां न मिलतीं क्योंकि पाबंदियों की वजह से हमने अपनी आंतरिक क्षमताओं को सक्रिय किया।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इस बात का ज़िक्र करते हुए कि बड़ी ताक़तें मुल्कों के ख़िलाफ़ पाबंदियों को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करती हैं, कहा कि जो चीज़ इस हथियार को बेअसर बनाती है वह आंतरिक क्षमताओं पर ध्यान केन्द्रित करना है।
उन्होंने क्षेत्र के मुद्दों ख़ास तौर पर अफ़ग़ानिस्तान के हालात को ईरान-ताजिकिस्तान के बीच सहयोग व समन्वय का मैदान बताते हुए कहाः अफ़ग़ानिस्तान के बारे में ईरान और ताजिकिस्तान की चिंताएं एक जैसी हैं और दोनों ही मुल्क अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवाद और तकफ़ीरी गिरोहों के विस्तार की ओर से चिंतित हैं और हमारा मानना है कि इस वक़्त अफ़ग़ानिस्तान में जिन लोगों के हाथों में सत्ता है वे सभी गुटों की भागीदारी से एक समावेशी सरकार का गठन करें।
इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने ईरान की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के जनरल स्टाफ़ के चीफ़ के ताजेकिस्तान के हालिया दौरे और वहाँ ड्रोन बनाने के कारख़ाने के उद्घाटन का ज़िक्र करते हुए, इस तरह के सहयोग को बहुत अहम बताया। उन्होंने कहा कि आज मुल्कों की सुरक्षा में ड्रोन विमानों की बहुत अहम भूमिका है।
इस मुलाक़ात में ईरानी राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी भी मौजूद थे।
इस मौक़े पर ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमाम अली रहमान ने तेहरान के अपने दौरे और आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से अपनी मुलाक़ात और अपने ईरानी समकक्ष के साथ बातचीत का ज़िक्र करते हुए कहाः व्यापार, अर्थव्यवस्था और उद्योग सहित अनेक क्षेत्रों में फ़ायदेमंद बातचीत हुई और दस्तख़त शुदा दस्तावेज़ के मद्देनज़र उम्मीद है कि आपके मार्गदर्शन से दोनों मुल्कों के संबंध पहले से ज़्यादा विस्तृत होंगे।
उन्होंने सुरक्षा चिंताओं ख़ास तौर पर अफ़ग़ानिस्तान के बारे में सुरक्षा चिंता और आतंकवाद के विस्तार को दोनों देशों के बीच अहम मुद्दा गिनवाते हुए कहाः हम अफ़ग़ानिस्तान में शांति तथा सभी समुदायों की भागीदारी वाली सरकार चाहते हैं और हमें उम्मीद है कि ईरान-ताजिकिस्तान के बीच सुरक्षा सहयोग बढने से चिंताओं पर क़ाबू पाया जा सकता है।